जज्बा है मुझमे तुमसे ज्यादा इतराने का घमंड  मुझमे नही हैं आजादी पाने का जन्नत और जहन्नुम में नाम से तुम लोगो को डराते हो मजहब और मुक्कदर कह कर

बहकते को खाब छोड़ दें कश्मीर ऐ जन्नत पाने का क्योकि

अल्लाह ने परमान किया है तुझे जहन्नुम फरमाने का

Poet-agrayh

कुछ लोग सेनाओं पर पत्थर बरसते है

कुछ लोग संसद की गलयरो में चाट समोसे खाते है

कुछ लोग भारत तेरे टुकड़े होंगे नारे खूब लगते है

कुछ लोग कह कर लेंगे आजादी तक डट जाते हैं 

ऐसे लोग सुन ले जिस दिन भारतीय सेना अपने पर आजाएगी उस दिन घरमे खुसकर मारा था और घर मे खुस कर मारेगी

मुस्कुराने की आदत इंसान को खुद ही खोजनी पड़ती हैं 

कुछ लोग उसके रास्ते में सिर्फ काटे ही चाहते हैं