शाक्ति प्रदर्सन

जज्बा है मुझमे तुमसे ज्यादा इतराने का घमंड  मुझमे नही हैं आजादी पाने का जन्नत और जहन्नुम में नाम से तुम लोगो को डराते हो मजहब और मुक्कदर कह कर

बहकते को खाब छोड़ दें कश्मीर ऐ जन्नत पाने का क्योकि

अल्लाह ने परमान किया है तुझे जहन्नुम फरमाने का

Poet-agrayh

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